थाना प्रभारी माढ़ोताल विपिन ताम्रकार ने बताया कि संतोष चौबे जो बीएसएनल से रिटायर्ड हुए थे। वह अपने घर में कमरा किराए से देते थे पुलिस में सबसे पहले इसी बात को ध्यान में रखते हुए जांच शुरू की थी। जिसमें पुलिस को मालूम पड़ा था कि हत्या वाले दिन रात को दो लड़के मकान देखने आए थे। पुलिस में जब आसपास की करीब डेढ़ सौ से 200 सीसीटीवी कैमरे चेक किया तो।
संदिग्ध युवक पनागर थाने का शातिर चोर निकला
एक में संदिग्ध युवक दिखा था। पुलिस ने जब इस युवक के बारे में पता किया तो यह पनागर थाने का शातिर चोर सतीश कोरी निकला। पुलिस ने जब सतीश को गिरफ्तार करके पूछताछ की तो पहले तो सतीश पुलिस को घूमने का काम करता रहा। लेकिन जब पुलिस ने सतीश से कड़ाई से पूछताछ की तो वह टूट गया और उसने पूरा घटनाक्रम पुलिस को बता दिया। इसमें सतीश ने बताया कि उनको पता चला था कि संतोष चौबे किराए से मकान देता है और इसके पास एक पेटी में बहुत सारा पैसा और जेवर है। इन पैसों और जेवरों को चुराने के लिए उन्होंने एक प्लान बनाया था जिसमें संतोष के यहां उनका कमरा किराए से लेना था। सतीश के अनुसार जैसे ही कमरा किराए से लेते उसके दो-तीन दिन बाद यह संतोष के यहां चोरी करके भाग जाते। इसके लिए उन्होंने अपनी एक साथी शिवा कोल, राजेंद्र कोल सोहेल, और एक नाबालिक लड़की को साथ में लिया था।
इस तरह दिया प्लान को अंजाम
प्लान के मुताबिक घटना वाली रात को यह लोग संतोष चौबे के यहां किराए से कैमरा लेने पहुंचे थे। जहां संतोष चौबे के पास सतीश कोल एवं शिवा कोल कैमरा देखने पहुंचे और बाकी लोग बाहर इधर-उधर खड़े हो गए थे। संतोष चौबे ने घर के पीछे एक कमरा दिखाए जिसमें टाइल्स का काम चल रहा था। संतोष द्वारा यह कहने पर की यह जब तैयार हो जाएगा 7 दिन में तो कमरा आप ले लेना। लेकिन शिवा और सतीश कैमरा तुरंत किराए से देने की जिद करने लगे । जिस पर संतोष और सेवा की बहस हो गई और इसी दौरान संतोष ने सेवा के ऊपर हाथ छोड़ दिया था। इसके बाद गुस्से में शिवा ने अपने पास रखा चाकू निकाल कर संतोष के गले पर वार कर दिया था जिससे संतोष वहीं पर गिरकर खत्म हो गया था। उसके बाद दोनों ने भाग कर अपने साथियों को इस बात की सूचना दी इसके बाद सभी लोग वहां से अलग-अलग रास्ते से फरार हो गए थे। पुलिस द्वारा हथियारों को पकड़ने में सराहनीय भूमिका निलेश कोरेते ,कल्पत मास्कोले, आरक्षक सचिन, महेंद्र, नितेश, दीलीप
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