केवाईसी और आईडी बनवाने भटक रहे किसान*- - Pratham Today, Sach Ki Baat SabKe Saath

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Monday, January 13, 2025

केवाईसी और आईडी बनवाने भटक रहे किसान*-

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                                                      प्रथम टुडे जबलपुर:  *पिछले 14 दिनों से पोर्टल नहीं कर रहा काम* -                        किसान सम्मन निधि रजिस्ट्रेशन के लिए जमीन की केवाईसी एवं किसन पंजीयन आईडी बनवाना मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा आवश्यक किया गया है। लेकिन पिछले 1 तारीख से केवाईसी और आईडी का पोर्टल मुश्किल से आधा घंटे चलने के बाद अचानक सर्वर बंद हो जाता है और किसानों को इस कार्य के लिए लगातार एमपी ऑनलाइन के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। केवाईसी के दौरान इस कार्य के दिनभर एमपी ऑनलाइन में किसानों की भीड़ लगी रहती है लेकिन किसी प्रकार का कोई कार्य संबंध में नहीं हो पा रहा है। एमपी ऑनलाइन वालों का कहना है कि हमारे द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहे हैं लेकिन सर्वर  ऊपर से बंद होने के कारण उन्हें भी तकलीफ हो रही है।  अगर किसानों की खेती के जमीन की केवाईसी और उनकी किस आईडी नहीं बनेगी तो उनको सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। इस सब को देखते हुए धीरे-धीरे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है जो आने वाले समय में अचानक सामने आ सकता है।           किसान पंजियन आइडी बनवाने के बाद  ही सरकार की सभी योजनाओं का लाभ किसानों को मिलेगा। जिसमें सम्मान निधि, प्रधानमंत्री वृक्षारोपण रोपण  योजना, धान उपार्जन, कोदो कुटकी की एक्सपोर्ट  योजना के साथ-साथ सरकार की जो भी योजनाएं किसानों के लिए है वे सभी इसी किसान पंजीयन आईडी के बाद ही किसानों को प्राप्त होगी                              *पटवारी और कोटवार काट रहे चांदी*-                                                      वहीं इस पूरे मामले में एक बात और सामने आई है कि  कोटवार और पटवारी द्वारा अपने रिकॉर्ड में खेत में लगी फसल को लेकर रकम भी मांग रहे हैं। जिसमें कोटवार और पटवारी द्वारा 500 से 1000 रुपए लिए जा रहे हैं अगर किसान यह पैसे नहीं दे पा रहा तो उसके रिकॉर्ड में फसल ही नहीं दर्शाई गईहै। वही वही कुछ लोगों  के खेत जो पड़ती मैं पड़े हैं मतलब उसमें किसी प्रकार की कोई फसल नहीं लगी है। ऐसे खेतों  में पैसे लेकर फसल दर्शा दी गई है और इसके लिए बाजू वाली के खेत की फोटो का इस्तेमाल किया जा रहा है।  वहीं कुछ किसान पटवारी और कोटवार की लापरवाही के चलते अपनी फसल का रिकॉर्ड दर्ज नहीं कर पाए हैं।

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