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प्रथम टुडे M P. :-- अंतरधार्मिक विवाह की इच्छा लेकर एक प्रेमी जोड़े ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में सुरक्षा की मांग लेकर पहुंचा। हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान पूछा कि लड़का हिंदू है और लड़की मुस्लिम, क्या दोनों शादी कर सकते हैं?
इस पर मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का अंतर किसी भी धर्म के आधार पर नहीं किया जा सकता। न ही उसे शादी करने से रोका जा सकता है।
हमारा संविधान देश के हर एक नागरिक को बतौर मौलिक अधिकार यह सुविधा देता है कि वो किसी के भी साथ विवाह कर सकता है।
*कोर्ट से सुरक्षा की अपील*
सुरक्षा की गुहार पर शासन की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने कहा कि देश के हर व्यक्ति को सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे में संविधान के अनुसार याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा दी जानी चाहिए।
हाई कोर्ट ने इस मामले में तर्क सुनकर शिवपुरी के एसपी को आदेश दिया कि शादी का पंजीकरण करवाने से लेकर हर एक तारीख पर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की जाए।
*शादी पूरी तरह मान्य है*
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के अनुसार, प्रेमी जोड़े ने शादी करने के लिए हाई कोर्ट से सुरक्षा मांगी। इस पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम ला की धारा 259 पर भी विमर्श किया गया। कोर्ट ने यह पाया कि हिंदू युवक और मुस्लिम युवती की शादी अमान्य नहीं हो सकत
*मैरिज एक्ट की धारा के तहत शादी कर सकते हैं*
ऐसे में वो स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा चार के अंतर्गत शादी भी कर सकते हैं और उसे पंजीकृत भी करवाया जा सकता है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि अगर युवक के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज की गई है या भविष्य में की जाती है तो उसमें पहले युवती के बयान दर्ज किए जाएं और पूरी जांच-पड़ताल करने के बाद ही कोई अग्रिम कार्रवाई की जाए।
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