प्रथम टुडे Rastriy :--- दिल्ली पुलिस ने प्रतिष्ठित बैंक के नाम पर फिशिंग करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. आउटर नार्थ जिले की पुलिस ने तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया. साइबर अपराधी नकली वेबसाइट और फिशिंग लिंक बनाकर लोगों को ठग रहे थे. पीड़ितों का संवेदनशील डेटा प्राप्त करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होता था. आरोपी असली वित्तीय संस्थानों की नकली वेबसाइट बनाते थे. पीड़ितों को फिशिंग कॉल्स और फर्जी ऑफर्स के जरिए झांसे में लिया जाता था.
झांसे में आकर पीड़ित संवेदनशील डेटा शेयर करते थे. पीड़ितों का डेटा साइबर ठग बैंक खातों से पैसे निकालने में होता था. आरोपी रिमोट डेस्कटॉप प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर सिस्टम को एक्सेस करते थे. पुलिस ने बताया कि साइबर ठगों ने फिशिंग वेबसाइट्स को होस्ट करने के लिए अलग-अलग होस्टिंग प्लेटफॉर्म्स की भी खरीदारी की थी. साइबर ठगी की 500 से अधिक शिकायतें राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज हुई हैं. पुलिस के मुताबिक गिरोह 500 रुपये तक में गरीब लोगों से सिम कार्ड खरीदता था.
*11फरवरी को प्राप्त हुई थी शिकायत*
फिशिंग गतिविधियों में इस्तेमाल के बाद सिम को गिरोह के सदस्य नष्ट कर देते थे. साइबर ठगी की वारदात में अब तक सैकड़ों सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जा चुका है. साइबर ठग गिरोह का सरगना दिल्ली का घोषित अपराधी है. हत्या, हत्या का प्रयास समेत 10 आपराधिक मामले सरगना के खिलाफ दर्ज हैं. साइबर ठग गिरोह का सरगना अभी फरार है. पुलिस ने बताया कि पोर्टल के माध्यम से 11 फरवरी को शिकायत प्राप्त हुई थी. सिरासपुर निवासी हरिकेश कुमार यादव के साथ 21,400 की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था
*संदिग्ध मोबाइल की काल डिटेल के जरिये पकड़े गए*
उन्होंने बताया कि कॉलर ने प्रतिष्ठित बैंक के क्रेडिट कार्ड का ऑफर दिया. उन्होंने फिशिंग लिंक पर जानकारी भर दी. डेटा शेयर करने के बाद क्रेडिट कार्ड से अनाधिकृत लेनदेन हो गए. धोखाधड़ी की जांच के लिए पुलिस ने टीम का गठन किया. संदिग्ध मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स निकाली गई. टीम ने रामा विहार, शिव विहार और टाटेसर गांव में छापेमारी की. अजय, जयदीप और राकेश को पकड़ा गया. तीनों को नोटिस देकर जांच में शामिल होने के लिए पुलिस ने बुलाया. पूछताछ में तीनों आरोपियों ने झूठे बयान दिए. पर्याप्त सबूत मिलने के बाद तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया
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