आज की महिला अब बेचारी नहीं रही, - Pratham Today, Sach Ki Baat SabKe Saath -->

Breaking

Saturday, March 8, 2025

आज की महिला अब बेचारी नहीं रही,

 ,*अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष*-           

  प्रथम टुडे जबलपुर: -- एक समय था जब महिला को अबला और बेचारी कहा जाता था। लेकिन आज हम देख रहे हैं हम महिलाओं में धीरे-धीरे आत्मविश्वास के साथ कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति बढ़ती ही जा रही है। इसका उदाहरण अगर देखा जाए तो हर जगह जहां पर पहले पुरुषों का बोलबाला हुआ करता था आज उसे जगह में महिला भी कंधे से कंधा मिलाकर पुरुषों के साथ चल रही है।।       

 *शिक्षा का अभाव अब मायने नहीं रख रहा*- पहले शिक्षा को ही सर्वोपरि मानकर महिलाओं को भी शिक्षित करने की बात कही जा रही थी और देखा जाए तो यह सत्य भी है कि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं ने पुरुषों से कहीं ज्यादा अपने आप को साबित किया है। लेकिन दूसरी तरफ हम देख रहे हैं की महिलाओं में शिक्षा का उतना महत्व नहीं रहा, जितना वह अपने अनुभव और समाज में  बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कुछ कर गुजरने का जुनून महिलाओं में  भी इस कदर सवार है। क वह शिक्षा से हटकर हर उसे क्षेत्र में अपने आप को साबित कर रही है। जिसमें उनको लगता है कि वह पुरुषों से ज्यादा अच्छा कार्य कर सकती हैं। आज बिना पढ़ी-लिखी महिलाएं भी ब्यूटी पार्लर, सिलाई कढ़ाई से लेकर, अच्छी ड्रेस मटेरियल की दुकान के साथ-साथ बड़े-बड़े बुटीक भी चल रही हैं। उसमें देखा जा रहा है, वह केवल अपने अनुभव और मधुर व्यवहार से ना केवल परिवार बल्कि समाज में भी अपनी पहचान बन चुकी है।                       

 

नारी अब तू नहीं बेचारी 

करती है अब सब काम तू 

हे शक्ति स्वरूपा नारी बारम्बार 

प्रणाम तुझे 

शशिकांता सिंह ( ब्युटिशियन, उपाध्यक्ष महिला एवं बाल उत्थान समिति)।             

आज नारी ने सारी बंदिशें तोड़ कर नयी, इबारत लिख रही हैं।    






आज नारी ने सारी बंदिशें तोड़ कर नयी, इबारत लिख रही हैं।          ।


निशा (प्राइवेट जॉब एवं  'सचिव ' महिला रक्षा एवं बाल उत्थान समिति 


-

हालांकि नारी को भारत देश में शुरू से शक्ति स्वरूपा माना जाता रहा जिसमें हम मां दुर्गा, मां सरस्वती, मां काली के रूप में जानते भी हैं। वैसे भी नारी ने पुरातन काल से जिसका उल्लेख हमें अपने भारत के ग में भी मिल रहा है। नारी के रूपों को जाना है और समझा है जिसमें अगर हम बात करें त्याग की तो हम मां सीता को पूजते हैं, तो वहीं प्रेम की मूर्ति के रूप में हम राधा को और कलयुग में भी मीरा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जिन्हें आज भी हम पूज रहे हैं। भारत नारी इन सभी के चरित्र को आत्मसात भी किया है, वहीं जिसे हम कलयुग कहते हैं उसमें नारी को शक्ति स्वरूपा के रूप में हमने महारानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, जैसे अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं। अब अगर आज हम बात करें इस समय की आधुनिक युग की देश की आजादी में कितनी ही ऐसी महिलाएं थी जिन्होंने देश की आजाद को आजाद करने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई है। वही जब देश आजाद हुआ तो देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जिन्हें आयरन लेडी का नाम दिया गया था। और आज भी महिलाओं को सम्मान देते हुए और उनके कार्य क्षमता को देखते हुए देश का सबसे बड़ा पद नारी जिन्हें देश का प्रथम नागरिक होने का गौरव प्राप्त है हमारे राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू। जरूरत है महिलाओं को केवल इसी तरह से अपनी रूढ़िवादिता की बंदिशें को तोड़कर आगे बढ़ाने की।

No comments:

Post a Comment