Update [25/4, 09:31] Anurag Dixit: Pratham today
प्रथम टुडे MP :-- भोपाल से जबलपुर आ रहे रामानंद संप्रदाय के प्रधान आचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज के अचानक रेलवे स्टेशन से लापता हो जाने की खबर से हड़कंप मचा हुआ है। विशेष सुरक्षा प्राप्त संत रामनरेशाचार्य जी महाराज को पिपरिया रेलवे स्टेशन पर आखिरी बार सुबह देखा गया था। जिसके बाद जबलपुर पहुंचे उनके सुरक्षा कर्मियों ने जीआरपी थाना पहुंच कर संत के लापता होने की सूचना दी। जीआरपी जबलपुर उनकी तलाश में जुटी है।
भुसावल में उतार लिया गया है संत को
जीआरपी थाना प्रभारी ने बताया कि रामनरेशाचार्य जी महाराज भोपाल से जबलपुर आ रहे थे। उनके साथ उनका सुरक्षा दस्ता भी था। आज सुबह उनके सुरक्षा स्टाफ ने सूचना दी कि पिपरिया रेलवे स्टेशन के बाद से स्वामी जी नहीं मिल रहे हैं। स्टाफ की सूचना के आधार पर पड़ताल की जा रही है। रेलवे स्टेशन में लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद ली जा रही है। सूत्रों की मानें तो संत को भुसावल में किसी ट्रेन से सुरक्षित जीआरपी ने उतारा लिया है।यह पूरा घटनाक्रम उनकी सुरक्षा में लापरवाही का भी है।
बता दे कि जगदगुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित स्वामी रामनरेशाचार्य रामानंदी वैष्णवों की मूल आचार्यपीठ श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी के वर्तमान पीठाधीश्वर हैं। इस पीठ को सगुण और निर्गुण रामभक्ति परंपरा और रामानंद संप्रदाय का मूल गादी होने का गौरव प्राप्त है। रामानंद संप्रदाय को वैरागी और रामावत संप्रदाय भी कहा जाता है। श्रीवैष्णव संप्रदाय में यह साधु, संतों, श्रीमहंतों की सबसे बड़ी जमात है।
सबसे ज्यादा व्यवस्थित मठ है
देश में सबसे ज्यादा व्यवस्थित मठ, आश्रम और साधु-संत इसी संप्रदाय के हैं। जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर बनाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हराव की पहल पर गठित रामालय ट्रस्ट के संयोजक रहे हैं। उस ट्रस्ट में द्वारका पीठ और ज्योतिष पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती और श्रृंगेरी पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी भारतीतीर्थ जी भी थे
पूरे भारत की यात्रा की थ
स्वामी रामनरेशाचार्य जी ने राममंदिर आंदोलन को लोकव्यापी बनाने के लिए पूरे भारत की यात्रा की थी। रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से श्रीमठ का जुड़ाव आरंभ से ही रहा है। जब रामजन्मभूमि न्यास पहली बार गठित हुआ तो उसके अध्यक्ष जगदगुरु शिवरामाचार्य थे, जो श्रीमठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर थे। उनके निधन के बाद ही स्वामी रामनरेशाचार्य जी को रामभक्ति परंपरा की मूलपीठ श्रीमठ, पंचगंगा घाट, काशी पर प्रतिष्ठित किया गया।
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